राहों में खड़े हम. उनके इंतज़ार मे.……
ज़िन्दगी गुज़र गयी तनहा उनके ही प्यार में
अक्सर आंसूं पूछते अपने होने का सबब हमारे ज़ज्बात से.।
राते अकेली , दिल में बेचैनि… फिर भी हम रुके रहे उनके इंतज़ार में। ……
मर कर भी जीते रहे हम.…हस कर ज़हर जुदाई का पीते रहे हम।
धड़का भी दिल तो उसपे उनका ही नाम था………. कुछ ऐसा दीवानापन था हमारे ही प्यार में। ।
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