इन जागती रातों का सबब तो पूछो
उन अधूरी बातों का मतलब तो पूछो
किस तरह हमने गुज़ारे है मर मर के वो दिन बार बार ना सही एक बार तो पूछो
तेरी यादों का फ़साना ना सही तेरी बातों का अफसाना न सही पर तेरी उस मुस्कराहट की टीस अब भी बाकी है
अब भी बाकी है तेरे दामन में लिपट कर रोने की ख्वाहिश अब भी बाकी है मेरे प्यार की नुमाइश ....
अधूरे पन का ये सितम ...अकेलेपन की ये चुभन ,दर्द में आसुंओ का सैलाब और उस पर मेरे प्यार का कफ़न ..........एक बार बस एक बार तुम दिल का हाल तो पूछो ..............
.कुछ भी ना सही पर एक सवाल तो पूछो
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